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शनिवार, 20 जुलाई 2013

पापा जी का कंप्यूटर

 बाल कविता :नागेश  पांडेय 'संजय' 

पापा जी का कंप्यूटर है
जादू भरा पिटारा

इसमें हाथी, इसमें घोड़ा
इसमें भालू बंदर।
इसमें गेम अनोखे कितने
मैजिक इसके अंदरं
आन करो इंटरनेट, होगा
मुटठी में जग सारा।

जोड़, घटाना, गुणा, भाग सब
पलक झपकते कर लो।
मेमोरी के क्या कहने जी
जितना चाहे भर लो।
थकने का ता काम नहीं है
पहलवान यह ‘दारा‘।


पिक्चर बुक का क्या कहना जी
जमकर चि़त्र बनाओ।
गाने सुनो फिल्म भी देखो,
जी भर जी बहलाओ।
मैगजीन भी पढ़ो इसी पर,
सच्चा दोस्त तुम्हारा।

पापा जी का कंप्यूटर है
जादू भरा पिटारा

7 टिप्‍पणियां:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

भाई नागेश जी,
बहुत प्यारा और अच्छा बालगीत।बच्चे इसे बहुत पसंद करेंगे।
हेमन्त कुमार

Prabhudayal Shrivastava ने कहा…

bahut pyaara balgeet

Prabhudayal Shrivastava ने कहा…

bahut pyara bal geet

Prabhudayal Shrivastava ने कहा…

bahut pyara bal geet

Chaitanya Sharma ने कहा…

Beautiful Poem

Vandana Ramasingh ने कहा…

वाकई जादू का पिटारा है कंप्यूटर तो ....

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

यात्राओं में रहने से विलम्ब से आप सभी को आभार व्यक्त कर रहा हूँ. स्नेह भाव बनाये रखें.धन्यवाद .