पिता हमारे
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
पिता हमारे पेड़ सरीखे,
छाया देते हैं।
खुद दुःख सहकर हमको
हर्ष सवाया देते हैं।
पिता नहीं ईश्वर से कम हैं,
पालनहारे हैं।
हमें पालते, हम उनकी
आँखों के तारे हैं।
पिता मित्र हैं, गुरु हैं : हमको
राह दिखाते हैं।
पिता हमारे सपनों का
संसार सजाते हैं।
पिता कभी कुछ नहीं माँगते,
क्या उनको दें हम?
कभी न ऐसा काम करें, जो
4 टिप्पणियां:
'पिता हमारे पेड़ सरीखे' सुंदर अभिव्यक्ति
Bahut sunder sir🙏🙏🙏🙏🙏
Aap hamesha hi aisi rachnaye krte rhe
Sir aap aise hi likhte rhe
Apki wo kavita meri fevioret hai
Panth bah mera nhi tha esliye mai laut aaya
अति सुंदर कविता सर
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