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शनिवार, 19 जून 2021

बाल कविता 'पिता हमारे'-नागेश पांडेय 'संजय'

पिता हमारे
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
पिता हमारे पेड़ सरीखे,
छाया देते हैं।
खुद दुःख सहकर हमको 
हर्ष सवाया देते हैं।

पिता नहीं ईश्वर से कम हैं,
पालनहारे हैं।
हमें पालते, हम उनकी 
आँखों के तारे हैं।

पिता मित्र हैं, गुरु हैं : हमको 
राह दिखाते हैं।
पिता हमारे सपनों का 
संसार सजाते हैं। 

पिता कभी कुछ नहीं माँगते,
क्या उनको दें हम?
कभी न ऐसा काम करें, जो
मिले पिता को गम। 
(कविता हरिभूमि, रायपुर में 19 जून 2021 को प्रकाशित)

4 टिप्‍पणियां:

नीलम राकेश ने कहा…

'पिता हमारे पेड़ सरीखे' सुंदर अभिव्यक्ति

Veeresh kumar ने कहा…

Bahut sunder sir🙏🙏🙏🙏🙏

Aap hamesha hi aisi rachnaye krte rhe

Veeresh kumar ने कहा…

Sir aap aise hi likhte rhe

Apki wo kavita meri fevioret hai

Panth bah mera nhi tha esliye mai laut aaya

Veeresh kumar ने कहा…

अति सुंदर कविता सर