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रविवार, 10 जुलाई 2011

होगा अब तो पढना


बाल कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
छुट्टी देखो ख़त्म हुई अब , 
खुलते हैं स्कूल . 
झटपट कापी -पेंसिल खोजो ,
जिन्हें गए थे भूल . 
बोलो  ,  कहाँ टिफिन-बस्ता है ? 
जल्दी देखो -भालो . 
छूटी चीजें याद करो जी ,
बाहर उन्हें निकालो . 
धमा -चौकड़ी भूल-भाल कर , 
होगा अब तो पढना . 
पढने में ही ध्यान लगाओ , 
आगे तुमको बढ़ना . 

11 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक बाल गीत...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत ही प्‍यारी बाल कविता।

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smshindi By Sonu ने कहा…

प्रिय ब्लोग्गर मित्रो
प्रणाम,
अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा!

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हेल्लो दोस्तों आगामी..

smshindi By Sonu ने कहा…

सुंदर चित्र, उतनि ही सुंदर रचना

vidhya ने कहा…

बहुत ही प्‍यारी बाल कविता।

आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर संक्षिप्त मनोहर रचना .बाल मन का प्रतिबिम्बन दर्शन .

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाह जी, बहुत बढिया

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाह जी, बहुत बढिया

PRAN SHARMA ने कहा…

Achchhee kavita ke liye aapko
badhaaee aur shubh kamna .

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

अमेरिका से सम्मान्या पुष्पा सक्सेना जी से मेरे ई -मेल पर प्राप्त इस प्रेरक सम्मति के लिए मैं उनका आभारी हूँ --

प्रिय डॉक्टर नागेश जी,

आपकी बधाई के लिए आभारी हूं। मैं अलास्का क्रूस पर गई हुई थी, आज ही लौटी हूं। अभी आपके विशद साहित्य-लेखन पर क्लिक किया तो विस्मित रह गई, आप बाल-साहित्य के तो विशेशज्ञ हैं ही साथ ही वयस्कों के लिए भी साहित्य- सृजन किया है। मेरी बधाई स्वीकर करें। वस्तुतः आप जैसे साहित्यकार ही सच्ची बधाई के पात्र हैं। हिंदी के विकास के लिए बच्चों के मन में कहानियों और कविताओं द्वारा विषय के प्रति प्रेम विकसित किया जा सकता है। आपको बताते हुए प्रसन्नता है कि मेरी पांडुलिपि 'माटी के तारे' पर सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार मिला है। यह कहानियां बच्चों के लिए प्रेरक कहानियां हैं।

यदि आपको मेरी कहानियां और उपन्यास पढने का समय मिल सके तो मेरे ब्ळॉग पर मेरी कहानियां और उपन्यास अवश्य पढें। आप जैसे साहित्यकार के विचारों और सुझावों से प्रसन्नता होगी। आपकी कहानियां अवश्य पढूंगी।

धन्यवाद,

Best regards,
Dr. Pushpa Saxena
My blog: http://hindishortstories.blogspot.com/

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बाल गीत .. बच्चों को उनके स्कूल की याद दिला देगा ..