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मंगलवार, 4 जनवरी 2011

धूप न निकली आज : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'


बालगीत :डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

धूप न निकली आज,
कहीं बीमार तो नहीं ?

सुबह-सुबह आ जाती थी,
इतराती-इठलाती थी,
माखन बन मुस्काती थी,
मिसरी बन शरमाती थी।

कभी आग बरसाती थी,
जो हो, मन को भाती थी।
किए बेतुके काज, 
मगर हर बार तो नहीं।

कैसी कारस्तानी है,
क्यों की आनाकानी है ?
ये इसकी मनमानी है, 
गढ़ी हुई शैतानी है,
शैतानी बचकानी है,
या फिर और कहानी है ?
मिली सूर्य से डाँट,
और फटकार तो नहीं ?

धूप न निकली आज
कहीं बीमार तो नहीं।

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