अकस्मात बढ़ गई तुम्हारी कैसे यह लम्बाई ?
परी मिली क्या कोई जिसने,
जादू यह सिखलाया ?
हुनर अनोखा पाया ।
क्या लम्बा कर देने वाली ‘टेबलेट’ है खाई ?
वैसे तेरा बढ़ जाना तो,
सबको खूब सुहाया।
जाड़े में खर्राटे भरकर
मिलता मजा सवाया।
तबियत नहीं किसी की रहती अलसाई-अलसाई।
तेरे बढ़ने से हम बच्चे,
जमकर मौज मनाते,
जी भर सोते और खुशी से,
चार बजे उठ जाते।
कर लेते हैं बड़े मजे से अपनी खूब पढ़ाई .
चित्र में : पाखी , अंडमान निकोबार
3 टिप्पणियां:
बहुत प्यारा बाल-गीत....मजा आ गया पढ़कर.
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
आपने मेरी फोटो लगाई, अच्छा लगा. किसी दिन मेरे लिए इक प्यारी सी कविता भी लिखियेगा, फिर मैं उसे अपने ब्लॉग पर लगाउंगी . आपको ढेर सारा प्यार.
सुंदर गीत , मजा आ गया
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