बालगीत : डा. नागेश पांडेय 'संजय'
सोचो, गर धरती पर
उतरें, प्यारे सूरज दादा .
जब तक तुम ना कहो ‘न’
तब तक साथ तुम्हारे खेलें,
जितनी बाधाएँ आएँ सो
संग तुम्हारे झेलें।
जाने पर आने का
टाइम से, कर जाएँ वादा।
आसमान में ही रख आएँ
अपनी गरमी सारी,
वरना तो सच ! हो जाएगी
हालत खस्ता सारी .
उनकी गर्मी से डरते हैं ,
लोग बहुत ही ज्यादा .
हाँ, गर जाड़े के मौसम में
गर्मी लेकर आएँ .
और हमारी ठिठुरन सारी
पल में दूर भगाएँ .
तब तो मिलने को हर पल ही
रहेंगे हम आमादा।
सोचो गर धरती पर
उतरें, प्यारे सूरज दादा .
चित्र साभार : गूगल सर्च
3 टिप्पणियां:
वाह ! क्या कल्पना है . सूरज धरती पर और वह भी बच्चों का दोस्त . बहुत अच्छा बालगीत .
नए साल की पहली पोस्ट.प्यारी रचना....अच्छी लगी.
नव वर्ष पर आप को ढेर सारी बधाइयाँ.
_____________
'पाखी की दुनिया' में नए साल का पहला दिन.
happy new year
एक टिप्पणी भेजें