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डॉ.नागेश पांडेय 'संजय' का बालसाहित्य संसार
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मंगलवार, 16 नवंबर 2010
शिशुगीत : दूध का कमाल -डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
शिशुगीत: नागेश पांडेय 'संजय'
पीकर गरम गरम दुद्धू ,
बुद्धू नहीं रहा बुद्धू .
खुले अकल के ताले सब,
नहीं अकल के लाले अब .
सुनकर अब अटपटे सबाल ,
खड़े न होते सिर के बाल .
हर जबाब अब उसके पास ,
सब उससे कहते शाबाश .
हरिभूमि,6 जून 2020,रायपुर
पर भी उपलब्ध
1 टिप्पणी:
Kailash Sharma
ने कहा…
बहुत प्यारा शिशु गीत।
8 सितंबर 2011 को 8:05 pm बजे
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1 टिप्पणी:
बहुत प्यारा शिशु गीत।
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