हिंदी भाषा न्यारी
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
सबकी ही बोली है अच्छी,
सबको अपनी भाषा प्यारी।
फिर भी सभी मानते हैं यह,
हिंदी भाषा सबसे न्यारी।
हिंदी भाषा : बगिया, जिसमें
विविध बोलियाँ महक रही हैं।
हिंदी-नभ में भाषाओं की
अगणित चिड़ियां चहक रही हैं।
हिंदी इतनी सरल हृदय है,
इसने सबको मान दिया है।
नए-नवेले शब्दों को निज
आँगन में स्थान दिया है।
इसीलिए तो सिंधु सरीखी,
अपनी हिंदी बढ़ती जाती।
सारे जग में मान पा रही,
सबके ही मन को है भाती।
5 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-09-2021) को चर्चा मंच "राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल ?" (चर्चा अंक-4188) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
हिन्दी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब
प्रेरक सुंदर सृजन।
बहुत सुंदर भईया👌👌👌
बहुत ही सुंदर कविता बच्चों के लिए, बहुत खूब सर।
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