हिंदी भाषा न्यारी
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
सबकी ही बोली है अच्छी,
सबको अपनी भाषा प्यारी।
फिर भी सभी मानते हैं यह,
हिंदी भाषा सबसे न्यारी।
हिंदी भाषा : बगिया, जिसमें
विविध बोलियाँ महक रही हैं।
हिंदी-नभ में भाषाओं की
अगणित चिड़ियां चहक रही हैं।
हिंदी इतनी सरल हृदय है,
इसने सबको मान दिया है।
नए-नवेले शब्दों को निज
आँगन में स्थान दिया है।
इसीलिए तो सिंधु सरीखी,
अपनी हिंदी बढ़ती जाती।
सारे जग में मान पा रही,
सबके ही मन को है भाती।