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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

बाल कविता 'पन्द्रह अगस्त' : नागेश पांडेय 'संजय'

 
पन्द्रह अगस्त
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !

आजादी का अनमोल दिवस,
जिससे पहले सब थे परवश।
अंग्रेजों का शासन कठोर,
अन्याय, दमन का सिर्फ जोर।
तब लड़कर-भिड़कर, मरकर भी,
दुश्मन को दी थी हाँ, शिकस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !

आजादी की कीमत जानें,
भारत की गरिमा पहचानें।
इसका न कभी भी मान घटे,
हम जाति-धर्म में नहीं बँटें। 
सब एक रहें, सब नेक रहें,
हो प्रगतिशील जनता समस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !

अपना ध्वज फर-फर-फर फहरे,
दुनिया भारत पर गर्व करे।
कुछ नया करें, यह हो प्रयास,
हो लक्ष्य एक चहुंदिश विकास।
जो हमें तोड़ने की सोचे,
उसके मंसूबे करें ध्वस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !

(कविता हरिभूमि, रायपुर, 13 अगस्त, 2021 के बालभूमि पृष्ठ पर प्रकाशित)

4 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (१४-०८-२०२१) को
"जो करते कल्याण को, उनका होता मान" चर्चा अंक-४१५६ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

मन की वीणा ने कहा…

देश प्रेम से ओतप्रोत सुंदर गीत।

Manisha Goswami ने कहा…

बहुत ही प्यारी कविता!

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर प्रभावशाली कविता |