पन्द्रह अगस्त
कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !
आजादी का अनमोल दिवस,
जिससे पहले सब थे परवश।
अंग्रेजों का शासन कठोर,
अन्याय, दमन का सिर्फ जोर।
तब लड़कर-भिड़कर, मरकर भी,
दुश्मन को दी थी हाँ, शिकस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !
आजादी की कीमत जानें,
भारत की गरिमा पहचानें।
इसका न कभी भी मान घटे,
हम जाति-धर्म में नहीं बँटें।
सब एक रहें, सब नेक रहें,
हो प्रगतिशील जनता समस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !
अपना ध्वज फर-फर-फर फहरे,
दुनिया भारत पर गर्व करे।
कुछ नया करें, यह हो प्रयास,
हो लक्ष्य एक चहुंदिश विकास।
जो हमें तोड़ने की सोचे,
उसके मंसूबे करें ध्वस्त।
पन्द्रह अगस्त ! पन्द्रह अगस्त !
(कविता हरिभूमि, रायपुर, 13 अगस्त, 2021 के बालभूमि पृष्ठ पर प्रकाशित)
4 टिप्पणियां:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (१४-०८-२०२१) को
"जो करते कल्याण को, उनका होता मान" चर्चा अंक-४१५६ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
देश प्रेम से ओतप्रोत सुंदर गीत।
बहुत ही प्यारी कविता!
सुंदर प्रभावशाली कविता |
एक टिप्पणी भेजें