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शनिवार, 15 मई 2021

बाल कविता : कहते हैं नाना - डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

बाल कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

जल्दी सोना, जल्दी जगना,

यह जिसने भी मन में ठाना।

उसकी सेहत ठीक रहेगी,

नहीं पड़ेगा वैद्य बुलाना।

यह कहते हैं, मेरे नाना।

भोजन सदा समय से करना,

तली भुनी चीजों से डरना।

सोने से घण्टे भर पहले, 

खा लेना जी, देखो खाना।

यह कहते हैं मेरे नाना।

जब देखो तब मोबाइल में,

अपनी आँखें नहीं गड़ाना।

कभी रोशनी कम न पड़ेगी,

नहीं पड़ेगा फिर पछताना।

यह कहते हैं मेरे नाना।

बहुत मजे से हम रहते हैं,

उनकी सब बातों को माना।

क्या तुम भी करते हो ऐसा?

जो कहते हैं मेरे नाना।

देखो, हमको सच बतलाना।

 हरिभूमि, दिल्ली (10.05.2021) की परिशिष्ट बाल भूमि में प्रकाशित 

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