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शनिवार, 1 सितंबर 2012

राम ! ऐसी बेटियां सबको मिलें


बेटी सृष्टि के जवाहर नवोदय विद्यालय  में चयन/प्रवेश  होने पर 
कविता : नागेश पांडेय 'संजय' 

राम ! ऐसी बेटियां सबको मिलें
लाडली जो है बहुत भोली-भली,
लाडली जो प्यार से घर में पली. 
लाडली जो हम सभी की शान है,
लाडली जो हम  सभी की जान है 
लाडली पर हम सभी को नाज है,
लाडली वह दूर हमसे आज है.

गयी पहली बार घर से दूर वह,
हाँ, मगर  उत्साह से भरपूर वह.
स्वप्न  को साकार करना जानती,
पूर्ण करती लक्ष्य जो भी ठानती.
सफलता की है सहज अधिकारिणी,
लाडली है हर्ष की संचारिणी.

लाडली को कर्म में विश्वास है,
निरंतरता  का उसे अभ्यास है.
नहीं  रूकती,  नहीं  थकती है कभी,
भाग्य को भी  नहीं  तकती है कभी.
सीखने की ओर अद्भुत चाह है,
और .. गढ़ती स्वयं अपनी राह है. 

लाडली, जिसको नवोदय भा गया,
सहजता से नाम  उसका आ गया.
लाडली अब हर्ष से अभिभूत है,
और उसका मन बहुत मजबूत है.
देखकर उसकी सहज एकाग्रता,
हम सुखी कितने, नहीं सकते बता.

लाडली सबकी हमारी सृष्टि है,
कर रही सब पर सुखों की वृष्टि  है.
राम ! ऐसी बेटियां सबको मिलें,
और सबके ही ह्रदय सुख से खिलें.
लक्ष्य की खातिर गयी जो दूर अब,
आप सब आशीष दें भरपूर अब.

1 टिप्पणी:

Dr. Mohd Ardshad Khan ने कहा…

नागेश भाई, सचमुच बहुत अच्छी कविता है, दिल से निकली हुई. बच्चे कब बडे हो जाते हैं, पता ही नही चलता. बिटिया इतनी बडी हो गई. मशाअल्लाह बहुत खुशी हुई. आप सौभाग्यशाली पिता हैं. बिटिया के चयन पर हार्दिक बधाई. खुदा करे वह इसी तरह आगे भी बुलन्दियों को छूती रहे.