बालगीत :नागेश पांडेय 'संजय ' आओ पेड़ लगाएँ सारे जग के शुभचिंतक , ये पेड़ बहुत उपकारी। सदा-सदा से वसुधा इनकी ऋणी और आभारी। परहित जीने-मरने का आदर्श हमें सिखलाएँ। फल देते, ईंधन देते हैं, देते औषधि न्यारी। छाया देते, औ‘ देते हैं सरस हवा सुखकारी। आक्सीजन का मधुर खजाना भर-भर हमें लुटाएँ। गरमी, वर्षा, शीत कड़ी ये अविकल सहते जाते, लू, आँधी, तूफान भयंकर देख नहीं घबड़ाते। सहनशीलता, साहस की ये पूजनीय प्रतिमाएँ। पेड़ प्रकृति का गहना हैं, ये हैं श्रृंगार धरा का। इन्हें काट, क्यूँ डाल रहे अपने ही घर में डाका। गलत राह को अभी त्याग कर सही राह पर आएँ। |
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रविवार, 5 जून 2011
आओ पेड़ लगाएँ
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15 टिप्पणियां:
bhut sundar aur manbhawan
बहुत बढ़िया रही यह प्रस्तुति!
विश्व पर्यावरण दिवस पर सार्थक प्रस्तुति।
सार्थक सन्देश देता सुन्दर बाल गीत..
पर्यावरण दिवस पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
पर्यावरण दिवस की बहुत बहुत बधाई…. सुन्दर प्रस्तुति
आप सभी को भी मेरी हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर कविता ......अच्छी बात लिए.....
अति सुंदर।
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मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।
अति सुंदर।
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मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।
. बहुत ही प्यारी कविता
पर्यावरण दिवस की बहुत बहुत बधाई.....
सुन्दर गीत है. इस तरह के बालगीत बालमन में विचारशीलता के बीज बोते हैं. इनका महत्व समझना आवश्यक है.
फेस बुक पर Raja Lambert की टिप्पणी
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I am honoured to be attached to a person like you.
You are an achiever
Its so nice to have you in my prestigious friends list Dr. Nagesh. Hope to have communications with you in future. Best of luck .
मैं आप सभी का आभारी हूँ . हार्दिक धन्यवाद .
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