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रविवार, 5 जून 2011

आओ पेड़ लगाएँ




बालगीत :नागेश पांडेय 'संजय '
आओ पेड़ लगाएँ
सारे जग के शुभचिंतक ,
ये पेड़ बहुत उपकारी।
सदा-सदा से वसुधा इनकी
ऋणी और आभारी।
परहित जीने-मरने का 
आदर्श हमें सिखलाएँ।

फल देते, ईंधन देते हैं,
देते औषधि न्यारी।
छाया देते, औ‘ देते हैं
सरस हवा सुखकारी।
आक्सीजन का मधुर खजाना
भर-भर हमें लुटाएँ।

गरमी, वर्षा, शीत कड़ी
ये अविकल सहते जाते,
लू, आँधी, तूफान भयंकर
देख नहीं घबड़ाते।
सहनशीलता, साहस की
ये पूजनीय प्रतिमाएँ।

पेड़ प्रकृति का गहना हैं,
ये हैं श्रृंगार धरा का।
इन्हें काट, क्यूँ डाल रहे
अपने ही घर में डाका।
गलत राह को अभी त्याग कर
सही राह पर आएँ।

15 टिप्‍पणियां:

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

bhut sundar aur manbhawan

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

बहुत बढ़िया रही यह प्रस्तुति!

मनोज कुमार ने कहा…

विश्व पर्यावरण दिवस पर सार्थक प्रस्तुति।

Kailash Sharma ने कहा…

सार्थक सन्देश देता सुन्दर बाल गीत..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पर्यावरण दिवस पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

Maheshwari kaneri ने कहा…

पर्यावरण दिवस की बहुत बहुत बधाई…. सुन्दर प्रस्तुति

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

आप सभी को भी मेरी हार्दिक बधाई

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कविता ......अच्छी बात लिए.....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अति सुंदर।

---------
मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अति सुंदर।

---------
मेरे ख़ुदा मुझे जीने का वो सलीक़ा दे...
मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का।

Kashvi Kaneri ने कहा…

. बहुत ही प्यारी कविता

virendra kumar ने कहा…

पर्यावरण दिवस की बहुत बहुत बधाई.....

अनूषा ने कहा…

सुन्दर गीत है. इस तरह के बालगीत बालमन में विचारशीलता के बीज बोते हैं. इनका महत्व समझना आवश्यक है.

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

फेस बुक पर Raja Lambert की टिप्पणी


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डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

मैं आप सभी का आभारी हूँ . हार्दिक धन्यवाद .