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बुधवार, 25 मई 2011

हन्नी-हन्नी-हन्नी




बालगीत : डा. नागेश पांडेय 'संजय'
हन्नी-हन्नी-हन्नी 
कागा ले चवन्नी ,
कर मेरे सँग हन्नी 
हन्नी-हन्नी-हन्नी . 
आ, रे - आ, रे - आ, रे 
कारे कागा आ रे , 
आ रे , कागा आ रे .
मेरे संग नहा रे .
उजला तू हो जा रे ,
गोरा तू हो जा रे , 
आ रे कागा आ रे 
कारे कागा आ रे . 
कागा बोला - ना ना ,
मुझको नहीं नहाना .
नाम हमारा कलुआ , 
नाम तुम्हारा ललुआ .
हम -तुम कलुआ -ललुआ ,
आओ मिलकर खाएँ ,
गरम-गरम हलुआ , 
नरम-नरम हलुआ . 
ललुआ बोला- जा तू ,
बातें नहीं बना तू ,
लालच मत दिखला तू , 
मत मुझको समझा तू 
मैं हूँ अच्छा बच्चा , 
काम न करता कच्चा . 
मुझे न हलुआ खाना ,
पहले मुझे नहाना .
जा-जा तेरी छुट्टी ,
कागा ! तुझसे कुट्टी . 
जनम भरे की कुट्टी , 
कुट्टी-कुट्टी-कुट्टी .

--------------------------------------------------------------------------------* हन्नी शब्द को लोकभाषा या बच्चों की भाषा में नहाना कहते हैं . 
चित्र : गूगल सर्च से साभार 

10 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जा-जा तेरी छुट्टी ,
कागा ! तुझसे कुट्टी .
जनम भरे की कुट्टी ,
कुट्टी-कुट्टी-कुट्टी .bahut hi natkhat si rachna

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

बालसुलभ प्यारी रचना!

Kashvi Kaneri ने कहा…

बाल गीत बहुत सुन्दर और मजेदार हैं ।

Prakash Manu प्रकाश मनु ने कहा…

लोकभाषा और लोकसंगीत का बढ़िया इस्तेमाल। सुंदर कविता। पढ़कर मन खुश हो गया नागेश। सस्नेह, प्र.म.

सहज साहित्य ने कहा…

इस तरह की सरल और सहज कविताएँ बहुत कम लिखी जा रही हैं ; कारण -कविगण बच्चों के लिए लिखना सरल मानकर चल रहे हैं , जबकि बच्चों के लिए लिखना कठिन है । यह कविता बच्चे ज़रूर गुनगुनाए । बहुत बधाई

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत प्यारी रचना...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मजा आ गया कविता पढकर।

बधाई।

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विश्‍व तम्‍बाकू निषेध दिवस।
सहृदय और लगनशीन ब्‍लॉगर प्रकाश मनु।

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

sunder bal geet

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बल गीत जी धन्यवाद

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्यारा बाल गीत लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
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