कापी नहीं खोई
बाल कहानी : नागेश पांडेय 'संजय'
नन्ही सी रागिनी। पढ़ती थी कक्षा एक में। अक्सर जब स्कूल से लौटती तो कहती - मम्मी .. मम्मी मेरी कापी खो गयी। कोइ उस पर हँसता तो कोई उसे चिढ़ाता। पर बेचारी करे क्या ..?
तो एक दिन तो उसके पापा को गुस्सा आ ही गया। वे बोले - " देख रागिनी, अगर फिर तूने कापी खोई तो मैं तुझे पंखे में उल्टा लटका दूँगा।"
बेचारी रागिनी, वह तो डर के मारे मम्मी की गोद में जा दुबकी।
तो सुनो आगे की बात, कुछ दिन के बाद जब एक दिन रागिनी स्कूल से लौटी तो बहुत खुश थी। बोली- "पापा, पापा। हमें पंखे में मत लटकाना . ... आज मैंने कापी नहीं खोई है।"
पापा ने चहक कर उसे अपनी गोद में उठा लिया-"अरे वाह . ...मेरी रानी बिटिया।"
2 टिप्पणियां:
सुन्दर एवं रोचक कहानी . फोटो में शैतानी झलकती है . अच्छा है .
कहानी में भोलापन है और नटखट पन भी .बधाई .
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