बालसाहित्य सृजन
डॉ.नागेश पांडेय 'संजय' का बालसाहित्य संसार
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रविवार, 28 नवंबर 2010
दादा जी
मेरे प्यारे दादा जी ,
सबके मन को भाते हैं .
जो कहते सो हँसकर करते ,
वादा सदा निभाते हैं .
मंडी भी ले जाते हमको ,
चीजें खूब दिलातें हैं .
रोज रात , सोने से पहले ,
सुंदर कथा सुनाते हैं .
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