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गुरुवार, 1 जुलाई 2021

बालगीत 'गिजाई'

गिजाई    
बालगीत : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'


अरे ! गिजाई, अरी ! गिजाई,
बोल कहाँ से आई तू ?

अभी तलक तो नहीं यहां थी,
इतने दिन तू रही कहाँ थी?
पिछली बारिस में देखा था,
बतला दे तू गयी जहां थी?

क्यों इस बार झमाझम वाली,
बारिस साथ न लाई तू?

तुझे देख होती हैरानी,
तू लगती पक्की सैलानी ।
जब कागज पर तुझे चढ़ाऊँ,
तो करती है आनाकानी ।

तनिक छुआ तो  हुआ तुझे क्या,
क्यों ऐसे घबड़ाई तू ?

घूम रही है झुंड बनाए,
छी ! छी ! केवल मिट्टी खाए ।
मैगी नूडल खाएगी क्या ?
मम्मी ने हैं आज बनाए ।

क्यों किसान की ताई है तू ?
क्यों उसके मन भाई तू ?
 ('देवपुत्र' मासिक जून-जुलाई 2021 में प्रकाशित )