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मंगलवार, 25 जनवरी 2011

सारे जग से न्यारा देश - नागेश पांडेय 'संजय'


किशोर - कविता : 
नागेश पांडेय 'संजय' 
सारे जग से न्यारा देश,
है आँखों का तारा देश,
प्यारा देश, दुलारा देश ,
हिंदुस्तान हमारा देश

हमें देश पर नाज है,
देश हमारा ताज है .
हमें देश पर गर्व  अपार,
हम सब इसके पहरेदार.
इसको खूब सँवारेंगे,
तन-मन इस पर वारेंगे .
जगर-मगर कर चमके देश,
हीरे जैसा दमके देश,
यह अपनी अभिलाषा है,
लेकिन कष्ट जरा सा है,
झगड़े-लफड़े छोड़ें हम,
सबसे नाता जोड़ें हम,
बने एकता अपना धर्म ,
बने एकता अपना कर्म .
मिलकर गाए सारा देश,

हिंदुस्तान हमारा देश।

रणबाँके हम वीर बड़े,
हटे न पीछे जहाँ अड़े।
हमें न झुकना भाता है,
हमें न रुकना आता है,
हम हैं अद्भुत सेनानी,
हार नहीं अब तक मानी,
हमने कैसा पाठ पढ़ा,
है इतिहास गवाह खड़ा
हम तो आगे आएँगे।
हम तो कदम बढ़ाएँगे।
प्रतिपल बढ़ते जाएँगे
ऊँचे चढ़ते जाएँगे। 
बढ़ना अपनी आन है, 
चढ़ना अपनी शान है।
सुख की निर्मल धारा देश

हिंदुस्तान हमारा देश।

3 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर ...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ...... जय हिंद

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

किशोरों के लिए एक प्रेरक कविता!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अति सुंदर।

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हंसी का विज्ञान।
ज्‍योतिष,अंकविद्या,हस्‍तरेख,टोना-टोटका।