बालगीत ; डा. नागेश पांडेय ' संजय '
बादल भैया! बादल भैया!
मैं छोटी सी बच्ची हूँ।
नहीं किसी से झगड़ा करती,
सब कहते-‘‘मैं अच्छी हूँ।’’
बादल भैया! बादल भैया!
मैं पढ़ने भी जाती हूँ।
खूब लगन से पढ़ती हूँ मैं,
अव्वल नंबर पाती हूँ।
बादल भैया! बादल भैया!
पास हमारे है गुड़िया,
गुड़िया बड़ी हो रही, डर है
कहीं न हो जाए बुढ़िया।
बादल भैया! बादल भैया!
करनी है इसकी शादी।
धूमधाम से शादी करने
की है मुझको आजादी।
बादल भैया! बादल भैया!
शादी में सब आएँगे।
दावत होगी, ढोल बजेंगे,
सब मिल नाचे-गाएँगे।
बादल भैया! बादल भैया!
पर लगता है मुझको डर।
पानी मत बरसाने लगना,
शादी में तुम झमर-झमर।
बादल भैया! बादल भैया!
तुम तो अच्छे भैया हो।
शादी ढंग से हो जाए, बस
तुम ही पार लगैया हो।
चित्र में : सलोनी रूपम
3 टिप्पणियां:
सुंदर ....हृदयस्पर्शी.....
बाल मन का सुन्दर वर्णन !
चित्र में तो सलोनी है ही,
उसके साथ लगी कविता भी सलोनी है!
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दोनों को आशीष!
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