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गुरुवार, 22 सितंबर 2011

लारी लप्पा (शिशुगीत):डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

लारी लप्पा 

छोटा सा अपना परिवार, 
पापा मम्मी करते प्यार. 
दीदी मेरी नेक भली, 
सभी प्यार से कहें लली. 
मम्मी चीजें नई बनाती, 
बड़े शौक से हमें खिलाती. 
बोलो आज बनाया क्या ? 
हाँ जी,  गाजर का हलवा. 
अब हम हलवा खायेंगे, 
लारी लप्पा गायेंगे. 
लेखक की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'लारी लप्पा' से साभार

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल कविता!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सुंदर कविता।

पर नागेश जी, कविता थोड़ी सजावट भी मांगती है और कॉमा, फुलस्‍टाप सम्‍बंधी ध्‍यान भी।
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बाल साहित्‍यकारों का महाकुंभ...
...खींच लो जुबान उसकी।

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल कविता!

कविता रावत ने कहा…

हाँ जी, गाजर का हलवा.
अब हम हलवा खायेंगे,
लारी लप्पा गायेंगे.
..waah!
ab to gaajar ka halwa jarur banega..
Happy Diwali..

Vandana Ramasingh ने कहा…

इस पार्टी में हम भी शामिल होंगे ....लारी लप्पा गायेंगे