पुस्तक परिचय : न्यारे गीत हमारे
संपादक : डा. नागेश पांडेय संजय
प्रकाशक : बाल साहित्य प्रसार संस्थान , शाहजहांपुर
मूल्य : ११ रुपया , संस्करण : १९९८
इस संकलन में शाहजहांपुर के २६ रचनाकारों की बाल कवितायें संकलित हैं . किसी जनपद के इतने सारे कवियों की बाल कविताओं का ये पहला संकलन है .
संकलन में विविध विषयों पर संकलित रोचक कवितायेँ हैं - लाओ मेरा ब्रश मम्मी (अजय गुप्त ), पता नहीं ( अरविन्द कुमार ) , पढना बंद (अरविन्द पाण्डेय भैया) , ओस की बूंदे ( अरविन्द बेलेवार) , संभल कर चलना ( डा. आकुल ) , मम्मी पापा बोलो ना ( कुमार गुलशन) , गुडिया रानी ( कुलदीप दीपक ) , गधेराम जी भाग्य विधाता (कृष्णकुमार मिश्र अचूक) , एक रहेंगे (कौशलेन्द्र मिश्र कौशल) , जंगल में चुनाव ( दिनेश रस्तोगी ) , अपने देश को स्वर्ग बनाना( देशबंधु शाहजहांपुरी ) , तबतक तबतक (नागेश पांडेय संजय) , एकता सम्मलेन( पंकज मिश्र अटल ) , बिजली रानी ( राजकुमार शर्मा) , दादी की घंटी ( राजेंद्र प्रसाद अनीश) , सब पर बलिहार ( रामकुमार मिश्र मधुकर) , चावल का गीत ( रावेन्द्र कुमार रवि) ,सारी दुनिया घर अपना ( राशिद हुसैन खान ) , आई खांसी भागे झाँसी ( विकासकुमार मिश्र ) , कभी न डरने वाले ( विश्वनाथ त्रिपाठी व्यग्र) , मै हूँ नदिया ( शशांक मिश्र भारती ) , दीपक ( सत्येन्द्र कनौजिया राही) , प्यारी अनु (सतीश मिश्र) , कहानी चिड़िया की (सुनैना पांडेय अवस्थी) , पिचक गए झगडू ( होरीलाल शर्मा नीरव ) , महक रहेगी बरसों (ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान ) .
इस पुस्तक पर उस समय पत्र पत्रिकाओं में धुआं धार छपने वाले देवेन्द्र शर्मा डनलप ने काव्यात्मक समीक्षा लिखी थी --
समीक्षात्मक कविता : न्यारे गीत हमारे
ले आये छब्बीस बड़े ही न्यारे गीत हमारे,
सब बच्चों के प्रिय संपादक श्री नागेश पधारे .
अति उत्तम संकलन विविध कवि , कविता पढ़ हर्षाएं ,
पशु, पक्षी, विज्ञान , ज्ञान , उद्यान पुष्प फल पायें .
लाओ मेरा ब्रश मम्मी कवि अजय गुप्त सिखलाते ,
गई रजाई पता नहीं अरविन्द कुमार अलसाते .
पढना बंद गधे का क्यों अरविन्द पाण्डेय भैया ,
अरविन्द बेलेवार ओस की बूंदे शहद मिठैया .
खूब संभल कर चलना डाक्टर आकुल गाते श्रम की ,
मम्मी पापा बोलो ना मानो कुमार गुलशन की .
कुलदीप दीपक गुडिया रानी खा पी लो न रूठो ,
गधेराम जी भाग्य विधाता कृष्णकुमार न चुको .
एक रहेंगे हिन्दू मुस्लिम कौशलेन्द्र संग गाएँ ,
जंगल में चुनाव का दुर्गुण मत दिनेश फैलाएं .
अपने देश को स्वर्ग बनाना देशबंधु के गांधी ,
तबतक तबतक बच्चे हैं नागेश-मेल के आंधी .
वन में पंकज अटल एकता सम्मलेन दिखलाते ,
बिजली रानी मैका भूलो राजकुमार मनाते.
दादी की घंटी प्यारी राजेंद्र अनीश सुनाएँ ,
हों सब पर बलिहार के द्वारा मधुकर शिशु बहलायें .
रवि चावल का गीत में खिचड़ी औ पुलाव महकाते ,
सारी दुनिया घर अपना राशिद हुसैन खां गाते .
आई खांसी भागे झाँसी मिश्र विकासकुमार ,
विश्वनाथ त्रिपाठी जी व्यग्र कभी न डरने वाले यार .
मै हूँ नदिया बहूँ निरंतर मिश्र शशांक का चित्रण ,
राही के दीपक में चिमनी , कुप्पी , दिया विलक्षण .
प्यारी अनु डरे सतीश की जब कोई चूहा फांदे ,
क्या खूब कहानी चिड़िया की ले आई सुनैना पांडे .
पिचक गए झगडू गुब्बारे फुस ये होरीलाल ,
महक रहेगी बरसों ज्ञानेंद्र ज्ञान का खूब कमाल .
फूले, फले प्रकाशक बालसाहित्य प्रसार संस्थान ,
बजरिया ,खुटार शाहजहांपुर*** अति उत्तम स्थान .
मनोकामना डनलप की नागेश पांडे संजय ,
बाल -जगत में प्रखर सूर्य सम चमकें बनें रणंजय .
कितने न्यारे गीत हमारे पुस्तक पढ़े , पढ़ायें ,
राष्ट्र धरोहर प्यारे बच्चे कीर्ति ध्वजा लहराएँ .
देवेन्द्र शर्मा डनलप ,
रुदौली , फैजाबाद
*** प्रकाशक का तत्कालीन पता

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