बाल गीत ; डा. नागेश पांडेय ' संजय '
मोबाइल जी! सचमुच तुम हो
बड़े काम की चीज।
गेम, कैमरा, कैल्कुलेटर,
एफ.एम., इंटरनेट,
कंप्यूटर भी इसमें आया
फिर भी सस्ता रेट।
एक टिकट में कई तमाशे
वाली तुम टाकीज।
यों थी दुनिया बहुत बड़ी
तुमने कर दी छोटी।
जाल हर कही फैला है,
क्या खूब चली गोटी।
सबके प्यारे हुए अचानक,
कैसे, बोलो प्लीज!
जहाँ कही भी जाता, तुमको
हरदम रखता साथ।
चिट्ठी का क्या काम, कि फौरन
हो जाती है बात।
लेकिन ‘विजी’ बोलते हो जब,
तो उठती है खीझ।
चित्र साभार : गूगल सर्च
5 टिप्पणियां:
नागेश सर, बहुत ही सुन्दर कविता. बधाई, बधाई.
बहुत सुन्दर रचना..
http://bachhonkakona.blogspot.com/
नागेश अंकल ....बहुत सुंदर मोबाईल की कविता
बहुत ही सुन्दर कविता| बधाई|
बहुत ही सुंदर
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