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सोमवार, 13 सितंबर 2021

कविता :'हिंदी भाषा न्यारी'/ नागेश पांडेय 'संजय'

 

हिंदी भाषा न्यारी

कविता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

सबकी ही बोली है अच्छी,

सबको अपनी भाषा प्यारी।

फिर भी सभी मानते हैं यह,

हिंदी भाषा सबसे न्यारी।

हिंदी भाषा :  बगिया, जिसमें 

विविध बोलियाँ महक रही हैं।

हिंदी-नभ में भाषाओं की

अगणित चिड़ियां चहक रही हैं।

हिंदी इतनी सरल हृदय है,

इसने सबको मान दिया है।

नए-नवेले शब्दों को निज

आँगन में स्थान दिया है। 

इसीलिए तो सिंधु सरीखी,

अपनी हिंदी बढ़ती जाती।

सारे जग में मान पा रही,

सबके ही मन को है भाती।

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-09-2021) को चर्चा मंच       "राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल ?"   (चर्चा अंक-4188)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
हिन्दी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

Onkar ने कहा…

बहुत खूब

मन की वीणा ने कहा…

प्रेरक सुंदर सृजन।

vivek tiwari ने कहा…

बहुत सुंदर भईया👌👌👌