बालगीत: डा.नागेश पांडेय 'संजय'
पास यदि रोबोट होता
सच! मजे होते हमारे!
रोब हम उस पर जमाते ,
चाहते जो सो कराते,
नहीं कुछ करना हमें
होता, महज मस्ती उड़ाते.
उधर होते काम चट ,
हम इधर जो करते इशारे।
डाँट डैडी की न पड़ती
औ' न मम्मी मार पातीं,
स्कूल में दीदी न हमको-
पीट या फटकार पातीं .
काम जिन्दाबाद सब होते
अरे ! उसके सहारे .
पास यदि रोबोट होता
सच! मजे होते हमारे!
13 टिप्पणियां:
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार 29.01.2011 को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
आपका नया चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
भाई सत्यम जी ,
आपका बहुत - बहुत आभार किन शब्दों में कहूँ .
उर में कितने भाव संजोये ,
पर कहने की कला न आई .
अत: उचित है , मन की भाषा
पढने का अभ्यास कीजिए .
प्रिय बंधुवर डा. नागेश पांडेय 'संजय'जी
काश …
पास यदि रोबोट होता
सच! मजे होते हमारे!
सुंदर सुसज्जित ब्लॉग !
और अच्छी बाल रचनाएं हैं आपके ब्लॉग पर … और आपका मान सम्मान भी अच्छा हुआ है… हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय स्वर्णकार जी ,
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के शब्दों में कहूँ तो -
मैं न रहा जब मैं ,
तुम आए और स्वयं
तुमने ही आकर के मेरे गीत लिखे .
तुम ही मेरे आँसू की मुस्कान बने ,
इसीलिए आँसू मोती के भाव बिके .
जिसने - जितना जो कुछ भी आँका मुझको ,
मेरा मोल नहीं , वह
मोल तुम्हारा है .
मेरी कविता का हर बोल
तुम्हारा है .
सब आप सह्रदय शुभचिंतकों की मंगलकामनाओं और संबल का सुफल है .स्नेह - कृपा बनाये रहें .
हार्दिक धन्यवाद .
काश ! ऐसा होता ....बहुत प्यारी रचना है नागेश अंकल. आभार
पास यदि रोबोट होता
सच! मजे होते हमारे...
----
सब्जी उससे मैं कटवाती ,
ब्लॉग टाइप कराती मैं।
Smiles !
.
ZEAL जी , वाकई आपकी टिप्पणी पढ़कर चेहरे पर मुस्कान तैर गई । धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर कल्पना और उसकी प्रभावी अभिव्यक्ति..
सचमुच मज़े हमारे होते!
बढ़िया है कविता .धन्यवाद
रोबोट का गीत बहुत सुन्दर है!
आपकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी तो है!
http://mayankkhatima.uchcharan.com/2011/02/30-33.html
बहुत सुंदर रचना है . बच्चों का साहित्य आपके सामान लेखकों का आभारी रहेगा.
हार्दिक धन्यवाद ।
एक टिप्पणी भेजें