चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल!
देख चिडै़या लाई दाना,
कुटुर-कुटुर कर अब तू खाना।
लेकिन मुँह तो खोल चिरौटे,
लेकिन मुँह तो खोल!
बड़े हो रहे पंख तुम्हारे,
उड़ने की कोशिश कर प्यारे!
आसमान में डोल चिरौटे,
आसमान में डोल!
चिड़िया ने है दही जमाया,
उसे भगौने में रखवाया।
जल्दी ढक्कन खोल चिरौटे,
जल्दी ढक्कन खोल!
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल चिरौटे,
(देवपुत्र,मासिक, इंदौर के फरवरी 2008 अंक में प्रकाशित)
2 टिप्पणियां:
प्यारी और सुंदर कविता.....
सुंदर कविता
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